IPL 2025: 3 कारण क्यों RCB ने रजत पाटीदार को कप्तान बनाकर कर दी है बहुत बड़ी गलती

Neeraj
RCB ने रजत पाटीदार को बनाया है कप्तान (photo credit- RCB)
RCB ने रजत पाटीदार को बनाया है कप्तान (photo credit- RCB)

Why making Rajat Patidar captain wrong move: रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के नए सीजन से पहले रजत पाटीदार को अपना नया कप्तान बनाया है। फाफ डुप्लेसिस को रिलीज करने के बाद RCB नए कप्तान की तलाश में थी। ऐसी संभावनाएं जतायी जा रही थी कि विराट कोहली को दोबारा कप्तान के रूप में वापस लाया जा सकता है। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ और फ्रेंचाइजी ने एक नई शुरुआत करने का फैसला लिया। पाटीदार को कप्तान बनाकर RCB भले ही नया अध्याय शुरू करने की तैयारी में है, लेकिन उनका यह फैसला गलत साबित हो सकता है। आइए जानते हैं वो तीन कारण जो बताते हैं क्यों पाटीदार को कप्तान बनाना RCB का गलत फैसला हो सकता है।

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#3 अनुभव की कमी

31 साल के हो चुके पाटीदार के पास कप्तानी का बहुत अधिक अनुभव नहीं है। खासतौर से IPL जैसे कड़े टूर्नामेंट में कप्तानी करने का उनके पास बिलकुल भी अनुभव नहीं है। घरेलू क्रिकेट में जरूर उन्होंने मध्य प्रदेश को हाल ही में सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के फाइनल तक पहुंचाया था, लेकिन IPL काफी अलग टूर्नामेंट है। IPL के मैचों में पड़ने वाला दबाव झेलने के लिए काफी अनुभव और परिपक्वता चाहिए होती है। पाटीदार के पास इसकी कमी है और यह सीजन के बीच में टीम पर भारी पड़ सकता है।

#2 टीम को एकजुट रख पाने में हो सकती है कठिनाई

RCB की टीम में कोहली के अलावा भी बहुत सारे इंटरनेशनल स्टार्स मौजूद हैं। पाटीदार अपनी टीम के कई खिलाड़ियों से काफी कम अनुभव रखते हैं और उन्होंने उनसे कम इंटरनेशनल मैच भी खेले होंगे। टी-20 लीग्स में स्टार कल्चर काफी हावी रहता है। ऐसे में पाटीदार की कप्तानी में टीम को एकजुट रख पाना सबसे बड़ा चैलेंज होगा। कई बार ये देखा गया है कि जब एक कम अनुभव वाले खिलाड़ी को कप्तानी मिल जाती है तो टीम में फूट पड़ जाती है।

#1 बल्लेबाजी पर पड़ सकता है प्रभाव

भले ही सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में कप्तानी करते हुए पाटीदार का बल्ले से भी प्रदर्शन काफी शानदार रहा था, लेकिन IPL में मामला अलग हो सकता है। इस टूर्नामेंट में लगातार देखा गया है कि कई खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर कप्तानी का प्रभाव पड़ा है। केएल राहुल और ऋषभ पंत इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं।

ये दोनों ही काफी आक्रामक बल्लेबाजी करते थे, लेकिन धीरे-धीरे कप्तानी का दबाव इनके ऊपर ऐसा पड़ा कि इनकी बल्लेबाजी बुरी तरह प्रभावित हुई है। RCB बिलकुल नहीं चाहेगी कि पाटीदार जैसा बल्लेबाज कप्तानी के दबाव में पड़कर धीमा खेलना शुरू कर दे। अब आने वाला समय ही बताएगा कि ये फैसला कितना सही और कितना गलत होने वाला है।

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