Gyanendra Pandey story: टीम इंडिया में खेलने का सपना हर एक भारतीय क्रिकेटर का होता है। हर साल कई नए चेहरे टीम इंडिया के लिए डेब्यू करते हैं, लेकिन कुछ ही खिलाड़ी लगातार अपनी जगह बरकरार रख पाते हैं, जबकि कुछ का करियर बेहद ही सीमित रह जाता है। ऐसा ही कुछ भारत के पूर्व ऑलराउंडर ज्ञानेंद्र पांडे के साथ हुआ, जो सिर्फ दो वनडे मैचों में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करने के बाद गायब हो गए। ज्ञानेंद्र भारत के घरेलू क्रिकेट के सफल खिलाड़ियों में से एक रहे। उन्होंने कोचिंग के क्षेत्र में भी काफी अच्छा काम किया है, लेकिन टीम इंडिया में उनका सफर कुछ ही दिन में खत्म हो गया था।ज्ञानेंद्र पांडे उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर के रहने वाले हैं। बांए हाथ के स्पिन गेंदबाज के रूप में प्रथम श्रेणी क्रिकेट की 1988/89 में शुरुआत करने वाले ज्ञानेंद्र पांडे आगे चलते एक बड़े ऑलराउंडर बन गए थे। वह घरेलू क्रिकेट में उत्तर प्रदेश की टीम के सबसे सफल कप्तानों में से एक भी रहे। उन्होंने अपनी कप्तानी में उत्तर प्रदेश की क्रिकेट टीम को 1997/98 में खेली गए रणजी ट्रॉफी के फाइनल में पहुंचाने का कारनामा किया था। इसके बाद से उत्तर प्रदेश का क्रिकेट ग्राफ ऊपर उठता गया था, जिसमें ज्ञानेंद्र का अहम योगदान रहा। View this post on Instagram Instagram Postटीम इंडिया में मिले सिर्फ 2 मौकेज्ञानेंद्र पांडे ने 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ भारत के लिए डेब्यू किया था। उन्होंने टीम से बाहर होने से पहले केवल एक और वनडे खेला, यानी उनका इंटरनेशनल करियर सिर्फ 2 मैचों का ही रहा। भारतीय सेलेक्टर्स ने ज्ञानेंद्र को पाकिस्तान और श्रीलंका के खिलाफ 1999 में खेले गए पेप्सी कप के लिए टीम में शामिल किया था। लेकिन वह इन दो मैचों में सिर्फ 4 रन बना सके और कोई भी विकेट हासिल नहीं कर पाए। इस प्रदर्शन के बाद उनको टीम से बाहर कर दिया गया।SBI के पीआर एजेंट बनेज्ञानेंद्र पांडे ने प्रथम श्रेणी और लिस्ट ए क्रिकेट में 199 मैचों में 254 विकेट हासिल किए थे। इस दौरान उन्होंने 7 हजार से भी ज्यादा रन बनाए। पांडे ने टीम इंडिया में राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली, मोहम्मद अजहरुद्दीन और अजय जडेजा जैसे दिग्गजों के साथ ड्रेसिंग रूम साझा किया, लेकिन वह ज्यादा दिन तक नहीं टिक पाए। अब ज्ञानेंद्र भारतीय स्टेट बैंक के पीआर एजेंट के रूप में काम करते हैं।