Team India taken duke balls matter to ICC: एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी के लिए हो रही पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में ड्यूक बॉल को लेकर काफी चर्चा देखने को मिली है। इस दौरान सीरीज के तीसरे टेस्ट में गेंद को लेकर काफी विवाद भी हुआ। लॉर्ड्स में खेले गए मैच में कई बार गेंद को बदला गया और इस दौरान एक समय भारतीय कप्तान शुभमन गिल अंपायर्स से बहस करते भी दिखे। तीसरे दिन सुबह के सत्र में दो बार गेंद को बदला गया। हालांकि, जब दोबारा गेंद बदली गई तो गिल और अन्य भारतीय खिलाड़ी खुश नहीं नजर आए। वहीं अब जानकारी मिल रही है कि टीम इंडिया ने सीरीज में गेंद बदलने के प्रोटोकॉल से नाराजगी जाहिर की है और मामले को आईसीसी के पास ले गए हैं।इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, भारत को लॉर्ड्स टेस्ट के तीसरे दिन जो दूसरी नई गेंद रिप्लेस करके दी गई थी वह 10 ओवर पुरानी नहीं थी। नियम के हिसाब से गेंद उतनी ही पुरानी होनी चाहिए, जितने ओवर बाद बदली जा रही है लेकिन भारत को 10 ओवर के बजाय 30-35 ओवर ओल्ड बॉल दी गई। इसका नुकसान टीम इंडिया को हुआ और मैच में भी भारत को 22 रन से हार झेलनी पड़ी।बॉल चेंज मामले को लेकर ICC के पास पहुंची टीम इंडियाप्रोटोकॉल में कहा गया है कि रिप्लेसमेंट बॉल मूल गेंद जितनी ही पुरानी होनी चाहिए, लेकिन पता चला है कि अंपायरों ने टीम को बताया कि स्टॉक में ऐसी कोई गेंद नहीं है जो 10 ओवर पुरानी हो। बीसीसीआई एक अधिकारी ने बताया, "लॉर्ड्स में, लगभग 10 ओवर के बाद, ड्यूक्स गेंद अपना आकार खो बैठी, जैसा कि इस सीरीज में अक्सर होता रहा है। गेंद उन छल्लों से नहीं गुज़र पाई जो अंपायर मैदान पर यह जांचने के लिए रखते हैं कि गेंद एक समान गोलाकार है या नहीं। हालांकि, अंपायरों के पास 10 ओवर पुरानी गेंद नहीं थी, इसलिए मैच के एक अहम मोड़ पर भारतीय टीम को 30-35 ओवर पुरानी गेंद मिली।"अधिकारी ने आगे कहा, "जब आप गेंद बदलने के लिए कहते हैं, तो आपको यह नहीं बताया जाता कि रिप्लेसमेंट बॉल कितनी पुरानी होने वाली है। लॉर्ड्स में हमें यह नहीं बताया गया था कि जो गेंद आएगी वह 30 से 35 ओवर पुरानी होगी। अगर हमें बताया जाता, तो हम 10 ओवर तक इस्तेमाल की गई गेंद से ही काम चलाते। आईसीसी को इसमें दखल देना चाहिए। इस नियम को बदलने की जरूरत है।"