Indian Hockey player Sreejesh Life journey : भारतीय हॉकी के होनहार गोलकीपर श्रीजेश ने पेरिस ओलंपिक के बाद अपने अंतरराष्ट्रीय करियर पर पूर्णविराम लगाने का फैसला लिया है। ओलंपिक के बाद वह कभी खेलते नजर नहीं आएंगे। श्रीजेश ने बहुत कम उम्र में खेलना शुरू कर दिया। श्रीजेश ने करीब 18 साल की उम्र में पहली बार भारतीय हॉकी कैम्प में हिस्सा लिया था। धीरे-धीरे श्रीजेश भारतीय हॉकी टीम की जान बन गए। भारतीय हॉकी टीम के कप्ता श्रीजेश पिछले एक दशक से भारतीय मेंस हॉकी टीम के मजबूत स्तंभ बने हुए हैं। श्रीजेश का जन्म केरल के एर्नाकुलम जिले के किझक्कम्बलम गांव में किसान परिवार में हुआ था।बचपन में श्रीजेश को एथलेटिक्स खेलना पसंद था। उन्होंने तिरुवनंतपुरम में जीवी राजा स्पोर्ट्स स्कूल में उन्होंने स्प्रिंट, लंबी कूद और वॉलीबॉल में भाग लिया था। लेकिन अंत श्रीजेश के कोच ने उन्हें हॉकी खेलने के लिए मना ही लिया। शायद पीआर श्रीजेश के कोच समझ गए थे कि श्रीजेश हॉकी जगत के उभरते हुए सितारा है। जिसी वजह से श्रीजेश के कोच ने अपनी पूरी मेहनत उन्हे निखारने में लगा दी।2006 मे दक्षिण एशियन गेम्स में किया था डेब्यूसाल 2006 में दक्षिण एशियन गेम्स में डेब्यू करने के बाद से पीआर श्रीजेश ने अपने करियर में पीछे मुडकर नहीं देखा। यह गेम श्रीलंका में खेला गया था। इसके बाद 2010 में उन्होंने सीनियस टीम के लिए डेब्यू किया। जिसके बाद टीम में काफी उतार- चढ़ाव भी हुए लेकिन श्रीजेश की मैनेजमेंट टीम ने हमेशा उनपर भरोसा किया। View this post on Instagram Instagram Postमेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से किए जा चुके हैं सम्मानितआपको बता दें कि श्रीजेश भारत के लिए 328 मैच खेल चुके हैं। वही श्रीजेश तीन ओलंपिक भी खेल चुके हैं। कई कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन गेम्स और विश्व कप में भूमिका निभाई। गोलकीपर श्रीजेश ने 2021 तोक्यो ओलंपिक में अपने सॉलिड डिफेंस से भारत को ब्रॉन्ज मेडल जिताया था। यह मेडल भारत ने 41 साल बाद जीता था। श्रीजेश को 2021 में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।अपने संन्यास पर बोले- श्रीजेशश्रीजेश ने संन्यास लेने के बाद कहा कि मुझे अपने करियर पर बहुत गर्व है और उम्मीद के साथ आगे बढ़ रहा हूं। मैं अपने परिवार , टीम के साथियों, सभी कोच, प्रशंसकों और हॉकी इंडिया ने जो प्यार, सम्मान और समर्थन दिया। उसके लिए मै हमेशा उनका आभारी रहूंगा।