भारतीय पुरुष बैडमिंटन टीम हांगझाओ एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने से चूक गई। चीन के खिलाफ फाइनल में खेलते हुए भारत को 2-3 से हार मिली और भारत का पहला एशियन गेम्स बैडमिंटन गोल्ड जीतने का सपना टूट गया। भारतीय टीम शुरुआती दो मुकाबले जीतकर 2-0 से एक समय आगे थी और गोल्ड से महज एक जीत दूर थी। लेकिन किदाम्बी श्रीकांत की हार के बाद भारत की हार तय मानी जाने लगी।
चीन जैसी मजबूत पुरुष टीम के खिलाफ फाइनल में पहला मैच खेलने लक्ष्य सेन उतरे। लक्ष्य ने चीन के युकी शी को कड़े मुकाबले में 22-20, 14-21, 21-18 से हराया और भारत को 1-0 से आगे कर दिया। इसके बाद दूसरा मैच पुरुष डबल्स का हुआ। यहां सात्विक साईंराज और चिराग शेट्टी की जोड़ी ने चीन के वेइकेंग लियांग-चैंग वैंग को 21-15, 21-18 से हराकर भारत को गोल्ड के करीब ला दिया।
अगले मैच में किदाम्बी श्रीकांत चीन के शिफेंग ली से भिड़े। अगर श्रीकांत यह मैच जीत जाते तो भारत को 3-0 की जीत के साथ गोल्ड मेडल मिल जाता। लेकिन श्रीकांत यह मैच 24-22, 21-11 से हार गए। श्रीकांत की हार के बाद चीन का पलड़ा भारी हो गया। चौथे मैच में ध्रुव कपिला और साईं प्रतीक की नई जोड़ी को उतारा गया। चीन की जोड़ी ने इन्हें 21-6, 21-15 से हराया।
आमतौर पर ध्रुव की जोड़ी एमआर अर्जुन के साथ होती है। स्कोर 2-2 से बराबर था और आखिरी मैच सिंगल्स का रहा। चीन के वेंग होंगयैंग ने भारत के मिथुन मंजूनाथ को आसानी से 21-12, 21-4 से हराकर चीन को गोल्ड दिला दिया। एच एस प्रणॉय चोटिल होने के कारण फाइनल में नहीं खेल पाए, नहीं तो परिणाम कुछ और हो सकता था।
एशियन गेम्स में भारत को आज तक किसी भी स्पर्धा में गोल्ड मेडल नहीं मिला है। पुरुष टीम ईवेंट में यह भारत का पहला सिल्वर मेडल है और बैडमिंटन में कुल दूसरा रजत पदक है। इससे पहले 2018 के एशियाड में पीवी सिंधू को महिला सिंगल्स में सिल्वर मेडल मिला था।