5 अगस्त वो दिन जब भारतीय टीम ने पदक जीता और 6 अगस्त के दिन राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यान चंद खेल रत्न पुरस्कार रखने का फैसला किया है। टोक्यो ओलंपिक में भारतीय पुरूष टीम ने कांस्य पदक जीतकर इस देश की पुरानी गरिमा वापस लौटाने का काम किया है। इंडियन टीम 41 साल पहले ओलंपिक में पदक जीत पायी थी। हालांकि महिला टीम ग्रेट ब्रिटेन से कांस्य पदक मुकाबला 3-4 से हार गई, लेकिन फिर भी महिला टीम ने पूरे प्रतियोगिता में जिस तरह खेला वो काबिल-ए-तारीफ है।ओलंपिक के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब हमारी वुमेंस टीम सेमीफाइनल में पहुंचने में सफल हुई। भारतीय खेल इतिहास में 5 और 6 अगस्त को यहां के लोग कभी भूल नहीं पाएंगे।देश को गर्वित कर देने वाले पलों के बीच अनेक देशवासियों का ये आग्रह भी सामने आया है कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद जी को समर्पित किया जाए। लोगों की भावनाओं को देखते हुए, इसका नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार किया जा रहा है। जय हिंद!— Narendra Modi (@narendramodi) August 6, 2021मेजर ध्यान चंद खेल रत्न पुरस्कार की आधिकारिक घोषणा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने की है। प्रधानमंत्री लगातार इस देश में खेल के प्रोत्साहन के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। जो एक देश के जिम्मेदार नागरिक को करना चाहिए। मेजर ध्यानचंद के बारे में आप लोगों को ज्यादा कुछ बताने की जरूरत नहीं है।ध्यानचंद वो खिलाड़ी हैं जिन्होंने अपने आगे मशहूर तानाशाह हिटलर को भी दांतों तले चने चबवा दिए थे। दरअसल हुआ ये था कि हिटलर ने सदी के महान खिलाड़ी को अपने देश से खेलने के लिए प्रस्ताव भेजा था, जिसे उन्होंने सिरे से नकार दिया। उन्होंने अपने देश को सर्वोच्च स्थान पर रखा था। वो खिलाड़ियों के साथ आर्मी में उच्च स्तरिय रैंकिंग ऑफिसर भी रह चुके हैं।29 अगस्त को पूरा देश उनके याद में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाता है। एक बार की बात है कि उनकी गोल करने की क्षमता को देखते हुए उनके हॉकी स्टिक को भी खोलकर दिखवाया था, लेकिन विदेशी खिलाड़ियों को वहां पर भी कुछ नहीं मिला। मेजर ध्यानचंद भारत के इतिहास में ऐसे पहले खिलाड़ी हैं, जिनकी कप्तानी में भारत ने ओलंपिक जैसे बड़े प्रतियोगिता में मेडल जीतना शुरू किया था।उन्होंने स्वर्गवास से पहले अपने परिवार को बोला था कि मेरे मरने के बाद ये देश वाले मुझे याद नहीं रखेंगे। आज के दिन उनके नाम पर खेल रत्न पुरस्कार को रखकर यहां के देशवासियों ने उनका नाम फिर से अमर कर दिया। हालांकि इस बात की कवायाद कई समय से चल रही थी। लेकिन देर आए दुरूस्त आए। बहरहाल हॉकी के जादूगर को इससे बड़ी श्रद्धांजलि और नहीं मिल सकती।I have been getting many requests from citizens across India to name the Khel Ratna Award after Major Dhyan Chand. I thank them for their views. Respecting their sentiment, the Khel Ratna Award will hereby be called the Major Dhyan Chand Khel Ratna Award! Jai Hind! pic.twitter.com/zbStlMNHdq— Narendra Modi (@narendramodi) August 6, 2021