Tokyo Olympics - पीवी सिंधू के इतिहास रचने की स्वर्णिम गाथा 

Badminton - Olympics
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टोक्यो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर पीवी सिंधु ने इतिहास रच दिया। हांलाकि, ओलंपिक में पीवी सिंधु का गोल्ड मेडल जीतने का सपना रह गया, लेकिन उन्होंने लगातार दो बार ओलंपिक मेडल जीतकर ऐसा करने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी बन गई, जो खेलों के महाकुंभ में दो पदक जीत पायी। इससे पहले उन्होंने रियो ओलंपिक में रजत पदक पर अपना कब्जा जमाया था।

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2016 में भारतीय खिलाड़ी ने ओलंपिक में सिल्वर मेडल हासिल कर देश का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया था। पीवी सिंधु का ये सफ़र कई लोगों को जितना आसान लगता है, असल में उनके लिये वो उतना ही चुनौती भरा था।

बैडमिंटन में विश्व चैंपियन बनने से लेकर ओलंपिक में मेडल हासिल करने तक उनका ये सफ़र बेहद कठिन और संघर्ष भरा रहा। करियर में सिंधु को ये सफ़लता कड़ी मेहनत के बाद मिली है। बहुत कम लोग जानते हैं कि सिंधु को बैंडमिंटन खिलाड़ी बनने की प्रेरणा पूर्व खिलाड़ी पुलेला गोपीचंद से मिली थी। आगे जाकर वही उनके कोच भी बने।

वो महज़ 8 साल की होंगी, जब उन्होंने गोपीचंद बैडमिंटन एकडमी में एडमिशन ले लिया। पीवी सिंधू अंडर-10 कैटेगरी की ऑल इंडिया रैंकिंग चैंपियनशिप में पांचवा स्थान भी हासिल किया था, जो कि उनके करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि थी। इसके बाद उन्होंने अंडर-13 की कैटेगरी में सब-जूनियर नेशनल गेम्स में डबल्स टाइटल जीत कर बड़ी विजय हासिल की। साथ ही अंडर-14 कैटेगरी में सिंधू ने सीधा गोल्ड मेडल पर भी कब्ज़ा जमा लिया।

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छोटी उम्र से ही उन्होंने बैडमिंटन के प्रति अपनी ख़ास रुचि दिखाई। माता-पिता ने साथ दिया और आगे बढ़ने में कामयाब रहीं। पीवी सिंधू के पिता रोज़ाना 3 बजे उन्हें उठा कर पुलेला गोपीचंद की अकादमी ले जाते। ये सिलसिला लगभग 12 साल से अधिक समय तक चला। बैडमिंटन प्लेयर बनने के लिये वो रोज़ 120 किमी तक का सफ़र तय करती और ट्रेनिंग में भी कोई कमी नहीं रखतीं।

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सिंधू अपने खेल के प्रति इतनी ईमानदार हैं कि बैडमिंटन टूर्नामेंट के लिये वो अपनी बहन की शादी तक में शामिल नहीं हुई थीं। उनकी बहन की शादी 2012 में हैदराबाद में हुई थी। उस दौरान वो लखनऊ में सैयद मोदी इंटरनेशनल इंडिया ग्रां प्री गोल्ड में खेल रही थीं। उस समय उनकी उम्र कुछ 17 साल की रही होंगी। 2016 रियो ओलंपिक में जब सिंधु ने रजत पदक हासिल किया, तो उनके कोच गोपीचंद ने बताया कि उन्होंने ओलंपिक जीतने के लिये तीन महीने तक अपना फ़ोन तक नहीं छूआ था। सिंधू की रियो उपलब्धि से सचिन तेंदुलकर इतना ख़ुश हुए कि उन्होंने देश की बेटी को बीएमडब्ल्यू कार गिफ़्ट की थी।

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Edited by निशांत द्रविड़
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